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बरसै छै गे बहिन आँखी सें लोर / खुशीलाल मंजर
Kavita Kosh से
बरसै छै गे बहिन आँखी सें लोर
हमरो पिया गेलै सहरऽ के ओर
नै जानौं हमरा सें गलती की भेलऽ
तनी मनी बातऽ में है रं कि होल
केनांकेॅ रहबै चलै नै कोनो जोर
बरसै छै गे बहिन आँखी सें लोर
भंख लोटै छै एँगना दुआरी
उचकी केॅ ताकै छी पकड़ी ओहारी
जेनांकेॅ ताकें छै चाँनऽ केॅ चकोर
बरसै छे गे बहिन आँखी सें लोर
भरलऽ जुआनी में भेलऽ कचार
आँखी तर लागै छै खाली अनहार
आबो जा घुमी केॅ होइतै ई जोर
बरसै छै गे बहिन आँखी सें लोर
हमरो पिया गेलै सहरऽ के ओर