बरसों ख़ुद से रोज़ ठनी
तब जाकर कुछ बात बनी
वो दोनों हमराह न थे
पर दोनों में खूब छनी
घटना उसके साथ घटे
और लगे मुझको अपनी
इतने दिन बीमार रहा
ऊपर से तनख़ा कटनी
उसने ख़ुद को ख़र्च किया
और बताई आमदनी
बरसों ख़ुद से रोज़ ठनी
तब जाकर कुछ बात बनी
वो दोनों हमराह न थे
पर दोनों में खूब छनी
घटना उसके साथ घटे
और लगे मुझको अपनी
इतने दिन बीमार रहा
ऊपर से तनख़ा कटनी
उसने ख़ुद को ख़र्च किया
और बताई आमदनी