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बर्फ़ / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का
Kavita Kosh से
तारें हो रहे हैं बेपर्द
झरते हैं पठारों पर सितारों के लिबास
ज़रूर आएंगे तीर्थयात्री
और खोजेंगे
आर्तनाद
कल के बुझे हुए अलाव
अनुवाद : गुलशेर खान शानी