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बर्फ और कपास / अम्बिका दत्त
Kavita Kosh से
यह जो आप देख रहे है
जमीन पर गिरती हुई ताजा बर्फ
बिलकुल इसी तरह
कपास के पौधों की शकल में
जमीन में से उगती है, सच्चाई
पहले मेरा भी खुन
कभी हुआ करता था
गुलमोहर के फूलों की तरह
चटक लाल !
इन दिनों कटे हुए मक्खन की
बासी परत सा हो गया हूं, मैं
न जाने क्यों
मेरे ऊपर / गिरती ही नहीं
कोई बर्फ
न जाने क्यों
मेरे अन्दर/उगती ही नहीं
कोई कपास !