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बर्लिन के तीन चित्र / विष्णुचन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
मार्या याद है न!
तुम्हारा दिया गंधीला
तोहफ़ा
एक सजीव बर्लिन है मेरे भीतर!
मार्या!
बर्लिन की हर सड़क
तुम्हारी तरह
‘गोर्की थिएटर’ से
‘बर्तोल्त ब्रेख्त थिएटर’ तक
अपनी-अपनी
भूमिकाएँ निभाती रही हैं।
मार्या! उस दिन
बर्लिन की सीमा से पौलेंड तक
जंगल अनमने थे।
दुर्घटना के समय
लेकिन हमारी बेचैनी
रायता इफ्फलैंड के दिल में उतर
रही थी।
वह उत्साह से कार ड्राइव
कर रही थीं
दुर्घटना के समय तक
हम सजीव थे।
बस रायता इफ्फलैंड
की परेशान आंखों में
एक खौफनाक बर्लिन था
याद है न मार्या!