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बर्सु बाद / मदन डुकलाण

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बर्सु बाद
मि घार गौं
आर मेरि
सियीं कूड़ी बीजि गे
चौक नचड़ बैठी गे
सीढ़ी हिटड़ बैठी गैन
जल्वट्युन कंदूड़ लगेन अर
खिड़की आंखी ख्वलन बैठी गैन
देलीन सेवा लगे
अर द्वार
अंगवाल ब्वटन बैठी गैन |

बर्सु बाद
मि रस्वड़ा मा गों त
रुवाणयां धुआँ हैसण बैठी गे
दिवाल भुक्की पीण बैठी गैन
धुर्प्वली आशीष दीण लगे
जनदारी गीत लगाण लगे
चुल्ला आग भुभराण लैगे
सिल्वाटा गिच रस्याण ऐगे
अर
मेरि भूख बिबलाण लैगे |

बर्सु बाद
मि पंदयरा मा गों
पाणी मा सिंवालु जम्यू छो
पनदालों गुमसुम चुपन्यो छो
मी देखी
पाणी खकलट्ट कन बैठी गे
पंदालो हर्ष मा
आँसू ब्वगाण लैगे
मिन झट्ट
छमवटो लगे
बर्सु की तीस बुझे
म्यारू ज्यू छत्त बत्त ह्वेगे
अर पंदयरो प्राण
पाणी पाणी ह्वेगे
बर्सु बाद ....... बर्सु बाद।