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बलात्कारी कहाँ से आये थे द्रोपदी ! / कर्मानंद आर्य
Kavita Kosh से
फँसी हुई
जैसे फड़फड़ाती है बंसी की मछली
वैसे फड़फड़ा रही है देह
मिट्टी होने का अर्थ
पानी होने का अर्थ
हवा होने का अर्थ
बदल रहा है धीरे धीरे
एक पति, दो पति, तीन पति
चार पति, पांच पति
क्या फर्क पड़ता है
कंचन काया के लिए
द्रोपदी चीखती है
मिट्टी होने के लिए
पानी होने के लिए
हवा होने के लिए
और देह छटपटाती है लगातर