बसंत बदल देता है मुहावरे (सामान्य परिचय) / अंकुर बेटागिरी
साहित्य अकादेमी सभाकक्ष, नई दिल्ली में हिन्दी के वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार श्री मंगलेश डबराल ने अंग्रेज़ी एवं कन्नड के युवा कवि अंकुर बेटागिरी के अंग्रेज़ी कविताओं के हिन्दी अनुवादों के संग्रह बसंत बदल देता है मुहावरे का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि अंकुर की कविताएँ पढ़कर मैं चकित हुआ हूँ। हिन्दी की कविताएँ जिस तरह एकायामी हो गई हैं, उसे देखते हुए इन कविताओं से काफी कुछ सीखना चाहिए। अंकुर बेटगेरि की कविताओं का अनुवाद युवा हिन्दी कवि राहुल राजेश ने किया है, जबकि इसका प्रकाशन यश पब्लिकेशन्स, दिल्ली द्वारा किया गया है।
लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात आलोचक मैनेजर पाण्डेय ने अंकुर की कविताओं को रेडिकल पोएट्री कहा और टिप्पणी की कि भारत की प्रकृति, संस्कृति, विडंबना तथा अंतर्द्धंद सब कुछ उनकी कविताओं में मौजूद है। इस अवसर पर गंगा प्रसाद विमल, अनामिका और अग्रहार कृष्णमूर्ति ने भी अपने विचार रखे और कवि एवं अनुवादक को उनकी विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई और शुभकामनाएँ दीं। कार्यक्रम का संचालन देवेन्द्र कुमार देवेश ने किया।
अनुवाद : राहुल राजेश