Last modified on 19 मार्च 2011, at 00:34

बस मुश्किल से बच के निकलना आता है / मदन मोहन दानिश

बस मुश्किल से बच के निकलना आता है
अब किसको माहौल बदलना आता है

भेष बदलने में तुम माहिर हो बेशक
उसको तो किरदार बदलना आता है

साथ उसी के चलते तो कैसे आता
ये जो हमको गिर के संभलना आता है

उसको सीधी-सच्ची राह नहीं भाती
दायें-बाएँ जिसको चलना आता है


आज उसी की दुनिया है दानिश साहब
जिसको हर साँचे में ढलना आता है