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बस रोॅ महिमा भारी / अमरेन्द्र

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बस रोॅ महिमा भारी।
की मैक्सी, की टैक्सी, ट्रेकर-देखलाँ यहाँ विचारी
सब टा एक एकैसे भैया, सब टा अपरमपारी।
कन्डक्टर भूसोॅ रँ ठूँसै सबटा खड़ा सवारी।
कुछ बोलोॅ तेॅ बोलथौं-बोलोॅ आपनोॅ मूँ सम्हारी।
एक टैक्सी दूसरा केॅ दै कहियो नाँय लगारी।
चलतें-चलतें कहियो देतौं यै मुड़गुनियाँ पारी।
कखनू जाय सुततोॅ खेतोॅ मेँ आपनोॅ टाँग पसारी।
हड़बड़ाय केॅ गिरवेॅ गदगद-लदलद देतें गारी।
अमरेन्दर रँ पैदल भागोॅ की पकड़ै छोॅ लॉरी।