भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बस : कुछ कविताएँ-3 / रघुवंश मणि
Kavita Kosh से
पीछे की सवारियाँ
ध्यान से सुनें
पीछे की सवारियाँ टिकट ख़रीद लें
पैसे आगे बढ़ा दें
पीछे की सवारियाँ
अपना सामान पीछे ले जाएँ
पीछे की सवारियाँ
झटकों के लिए तैयार रहें
हिचकोले खाती है बस
बाद की सवारियाँ भी
पीछे जाकर बैठें
पीछे की सवारियाँ
पीछे की सवारियों की तरह रहें