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बहती परम सत्य की धारा / रामइकबाल सिंह 'राकेश'
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बहती परम सत्य की धारा,
अम्बर की वीणा में स्वर भर।
देते चिर सन्देश सत्य का,
उत्कंठित घन धरापटल पर।
मगनचित्रपट पर तारागण,
करते मधुवन मन्त्रोच्चारण।
काण्डुयवांकुर, पल्लव मर्मर,
मंगल पटह बजाते निर्झर।
भसमलेखविचित विद्युत्प्रभ,
भीम शिलाओं के ललाट पर।
केलिकलाकुल मलयसमीरण,
भौरे कुसुमदामदोला पर।
सत्य सनातनव्रत से दीक्षित,
अन्तरिक्षमण्डल मंे दिनकर।
सत्य-छन्द से वर्णविर´्जित,
छन्दित महासिन्धु का अन्तर।