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बहन का घर / प्रेमरंजन अनिमेष

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रास्‍ते में पड़ता है
घर बहन का

पर गुज़र जाते
अकसर उधर से
इसी तरह
चुपचाप
मिले बिना
बगैर ख़बर किए

अपना
या दुनिया का
कोई काम देखते

बहनें हमारे रास्‍ते में
नहीं आतीं