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बहादुरों में उन्हीं का शुमार करते हैं / रंजना वर्मा
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बहादुरों में उन्ही का शुमार करते हैं
मुसीबतों में जो इंसा से प्यार करते हैं
कभी भी दर्द हमारा न वो समझ पाये
इसीलिये वो कलेजे पे वार करते हैं
चलो वतन के लिये जिंदगी कुर्बान करें
ये वो अहद है जिसे बार बार करते हैं
न देख सकते कभी आह किसी के लब पर
मिले जो वक्त खिज़ा को बहार करते हैं
किसी की आँख में आँसू न देख पाते जो
मिटा दें पीर ये कोशिश हज़ार करते हैं
छिपाये रखते हैं जो आस्तीन में ख़ंजर
भला उस शख्स पे क्यों ऐतबार करते हैं
हमारा साँवरा हर दिल अजीज़ है फिर भी
हमेशा उस का ही हम इंतज़ार करते हैं