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बहाना / महेन्द्र भटनागर

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याद आता है

तुम्हारा रूठना!
मनुहार-सुख
अनुभूत करने के लिए,
एकरसता-भार से
ऊबे क्षणों में
रंग जीवन का
नवीन अपूर्व
भरने के लिए!
याद आता है
तुम्हारा रूठना!
जन्म-जन्मान्तर पुरानी
प्रीति को
फिर-फिर निखरने के लिए,
इस बहाने
मन-मिलन शुभ दीप
ऑंगन-द्वार
धरने के लिए!
याद आता है
तुम्हारा रूठना!
अपार-अपार भाता है
तुम्हारा रागमय
बीते दिनों का रूठना!