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बहिना अंग प्रदेश / माधवी चौधरी
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					बहिना अंग प्रदेश छै, तीर्थो के अस्थान। 
अंग देश के छौं सुता, ई हमरोॅ सम्मान।।
 
अर्पित छै अंगोॅ लली, हमरोॅ जान-परान। 
दिल मेॅ एक्के चाह छै, अंगो के उत्थान।।
बैद्यनाथ छै अंग मेॅ, अंगोॅ मेॅ मंदार। 
कोशी, गंगा छै करै, अंगोॅ के श्रृंगार।।
श्रृंगी, विश्वामित्र के, नचिकेता के धाम। 
बसै कर्ण के अंग मेॅ, महामुनि परशुराम।।
बलि सुत राजा अंग के, भूमि अंग महान। 
रोमपाद, नृप कर्ण के,  अंग कर्म अस्थान।।
ज्ञान केंद्र विक्रमशिला, जानै छै संसार। 
हिंदी भाषा भी छिकै, अंगोॅ के उपहार।।
बहिना अंग प्रदेश छै, ज्ञान-रत्न के खान।   
रामधारी-रेणु जहाँ, साहित्यिक अवदान।।
यहाँ देश पेॅ जान केॅ, करै पुत्र कुर्बान। 
सियाराम, मांझी अमर, जानै लोक-जहान।।
	
	