बहुतै गड़बड़झाला होइ गै / सन्नी गुप्ता 'मदन'
हम लौट परे जब शहरे से
दादा हमसे पूछै लागे।
कुछ दिन रहि जात्या अउर ससुर
केस एक महीना मा भागे।
हम रोय सकी न हँसि पाई
दिल कै दुखड़ा कइसे गाई।
बस परा रहे हम ओखरी मा
वस परै पहरुआ जेस चाही।
टीबी मा फोटू देखि-देखि कै बहुतै गड़बड़झाला होइ गै।
पहिले जइसन नाय बाय अब सहरेम बड़ा घोटाला होइ गैं।।
जे हमका लै के गवा रहे
पहिले से सेटिंग रही वनकै।
यहि कहे रहे आठै घंटा
वहि जोति रहे अपने मनिकै।
दस दिन हम करत रहे दिन मा
दस दिन राती मा करवावै।
जइसे केव झूरे ताले का
चिम्मच से पूरा भरवावै।
देखत हया यही चक्कर मा हाथ गोड़ कुल काला होइ गै
पहिले जइसन नाय बाय अब सहरेम बड़ा घोटाला होइ गैं।।
पइसा काट लेय अलगे से
मिलै नाय टाइम से हमका।
रोजै रही बिमार उहा पै
कबहु नाइ ई चेहरा चमका।
रूखा सूखा यही ठीक बा
मेहनत करब यहू कुल पाइब।
मेहरारू लड़िक्या के साथे
माई-दादक गोड़ दबाइब।
कसी रही यहि जौन कमिजिया आज झूलि कै माला होइ गै
पहिले जइसन नाय बाय अब सहरेम बड़ा घोटाला होइ गैं।।