भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बहुत आगाज़ देखे हैं बहुत अंजाम देखे हैं / मेला राम 'वफ़ा'
Kavita Kosh से
बहुत आगाज़ देखे हैं बहुत अंजाम देखे हैं
बहुत नक़्शे तिरे ऐ गर्दिशे-अय्याम देखै हैं
रपट जिन सूफियों ने की है मेरे बदखरोशी की
कुछ उन में हम-प्याला दोस्तों के नाम देखे हैं
ये आलम आलमे-इम्कां है मुमकिन है यहां ये भी
ज़बू-आगाज़ भी अक्सर निको-अंजाम देखे हैं।