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बहुत कुछ कहना है / अनीता मिश्रा

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वो पल हमे दो ना
बहुत कुछ कहना है
सुनोगे मेरी बात
या हँसी उड़ाओगे मेरी
पागल तो नहीँ कहोगे।

सुनो ना जानती हूँ
व्यस्त हो
बहुत काम है तुम्हे
फिर भी भीगना चाहती हूँ
वो पहली बारिश में
मौन अहसासों के बीच
तुम्हारे साथ।

साझा करना चाहती हूँ
सारे दर्द जो तुम
बताते नहीँ लेकिन
मैं ढूढं लेती हूँ
गहरी ख़ामोश-सी आँखों में

वो पल हमें दो ना।