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बहुत थक गये हम वफ़ा करते करते / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
बहुत थक गये हम वफ़ा करते-करते
मुहब्बत की कीमत अदा करते-करते
शफ़ा ही नहीं मिल सकी आज तक है
गये ऊब अब तो दवा करते-करते
बढ़ी तीरगी एक दिया तो जला लूँ
अँधेरा कटे रास्ता करते-करते
नहीं कोई अंजाम पड़ता दिखायी
रुकी अब जुबां भी दुआ करते-करते
उमस हो रही है चलो सो भी जाओ
थके हाथ भी हैं हवा करते-करते
तुम्हीं मेरी कश्ती की पतवार थामो
हुई देर अब इल्तिज़ा करते-करते
खुदा तो यक़ीनन हमें बख़्श देगा
मगर हम रुके कब खता करते-करते