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बहुत दिन से तारीफ़ सुनकर तुम्हारी / बिन्दु जी
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बहुत दिन से तारीफ़ सुनकर तुम्हारी।
शरण आ गया श्यामसुन्दर तुम्हारी।
जो अब टाल दोगे मुझे अपने दर से।
तो होगी हँसी नाथ दर-दर तुम्हारी।
सुना है कि उसको न करुणा सताती।
जो रहते हैं करुणा नज़र पर तुम्हारी।
यही प्रार्थना है यही याचना है।
जुदा हूँ न नजरों से पल भर तुम्हारी।
ये दृग ‘बिन्दु’ तुमको खबर दे रहे हैं।
कि है याद दिल में बराबर तुम्हारी।