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बहुत नए कभी बेहद पुराने होते हैं / कांतिमोहन 'सोज़'
Kavita Kosh से
बहुत नए कभी बेहद पुराने होते हैं ।
अब उसके पास अजब से बहाने होते हैं ।।
हमें ये तब कहाँ थी कि प्यार कर देखें
सुना था खून के आँसू बहाने होते हैं ।
सबब तो कुछ भी नहीं पर चलन है दुनिया का
कि दाग़े-दिल हमें हँसकर दिखाने होते हैं ।
हँसी नहीं है किसी की ख़ुशी का पैमाना
हँसी की ओट में आँसू छुपाने होते हैं ।
लिपटके पाँव से आती है ग़म की गर्द यहाँ
मगर निशात के लम्हे चुराने होते हैं ।
फ़रेब देती हैं आँखें ग़रीब होने का
पर उनके पास बला के ख़ज़ाने होते हैं ।
नहीं था सोज़ निशाना नहीं था तू उनका
अचूक तीर मगर आज़माने होते हैं ।।