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बहुत नाच जिनिगी नचावत रहल / मनोज भावुक

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बहुत नाच जिनिगी नचावत रहल
हँसावत, खेलावत, रोआवत रहल

कहाँ खो गइल अब ऊ धुन प्यार के
जे हमरा के पागल बनावत रहल

बुरा वक्त में ऊ बदलिये गइल
जे हमरा के आपन बतावत रहल

बन्हाइल कहाँ ऊ कबो छंद में
जे हमरा के हरदम लुभावत रहल

उहो आज खोजत बा रस्ता, हजूर
जे सभका के रस्ता देखावत रहल

जमीने प बा आदमी के वजूद
तबो मन परिन्दा उड़ावत रहल

कबो आज ले ना रुकल ई कदम
भले मोड़ पर मोड़ आवत रहल

लिखे में बहुत प्राण तड़पल तबो
गजल-गीत ‘भावुक’ सुनावत रहल