बहुत नाच जिनिगी नचावत रहल
हँसावत, खेलावत, रोआवत रहल
कहाँ खो गइल अब ऊ धुन प्यार के
जे हमरा के पागल बनावत रहल
बुरा वक्त में ऊ बदलिये गइल
जे हमरा के आपन बतावत रहल
बन्हाइल कहाँ ऊ कबो छंद में
जे हमरा के हरदम लुभावत रहल
उहो आज खोजत बा रस्ता, हजूर
जे सभका के रस्ता देखावत रहल
जमीने प बा आदमी के वजूद
तबो मन परिन्दा उड़ावत रहल
कबो आज ले ना रुकल ई कदम
भले मोड़ पर मोड़ आवत रहल
लिखे में बहुत प्राण तड़पल तबो
गजल-गीत ‘भावुक’ सुनावत रहल