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बहुत प्यासा हूँ / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
बहुत प्यासा हूँ / प्यासा बहुत हूँ!
ज़िंदगी — बेहद उदास-हताश है,
ग़मगीन है मन
विरक्त / उजाड़ / उचाट!
बुझती नहीं प्यास
कंठ-चुभती प्यास / बुझती नहीं!
प्यासा रहा भर-ज़िंदगी
ख़ूब तड़का / ख़ूब तड़पा-छ्टपटाया …
भागा / बेतहाशा
इस मरुभूमि … उस मरूभूमि भागा,
जहाँ भी, ज़रा भी दी दिखाई आस
- भागा!
- भागा!
बुझाने प्यास
सब सहता रहा; दहता रहा
लपट-लपट घिर,
सिर से पैर तक
गलता-पिघलता रहा!
अतृप्त अबुझ सनातन प्यास ले
- एक दिन दम तोड़ दूंगा,
- एक दिन दम तोड़ दूंगा,
रसों डूबी / नहायी तर-बतर
रंगीन दुनिया छोड़ दूंगा!