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बहुत सुंदर सुबह है / सुनीता जैन

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बहुत सुन्दर सुबह है
हर वृक्ष पर पत्ता नया है
हर पात पर रंग कैसा
हरा है

दस भाँत का है, देख लो
रंग भी हरा यह:

इस हरे में
तनिक-सा
सोना मिला है

इस हरे में
कूट कर
ताम्बा भरा है

यह हरा ज्यों-
हाथ
मेहँदी से रचा है

इस हरे की तो
कहूँ मैं
बात क्या-

ज्यों कटा मरकत
धरा पर
धूप में
पूरा बिछा है

शायद प्रभु मेरे ने
हँस फिर गौरा से कहा है-
सहस्र नामम् तत् तुल्यम
राम नाम वरानने!