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बहू को सीख देने का गीत / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
कठोडरा आया ये सजनी पावणा, वे तो कठोड गुड्या छ निशान,
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
बे तो मथुरा रा आया से सजनी पावणा। वे तो जयपुर म गुड्या छै निशान।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
उचा तो घालू ये सजनी बेसणा लूललूल लागूली पाव।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
चावल रांधू ये सजनी उजला हरीया मंगारीसी दाल।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
पोली तो पोवू ये सजनी उजली तीवण तीस बत्तीस।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
घी बरतावू ये सजनी तोलडी, पापड तलूली पचास।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
थाल परोस्ये सजनी कुलबवा, झाझर र झणकार।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।
जिम्या तो चुट्या ये सजनी रूच रह्या, इमरत चलू तो कराय।
मोय प्यारा लागोये सजनी पावणा।