अंजुरी में जल आया
नदी नहीं आई
छूने गया तो
बज गया सितार
देखते ही देखते
बह गया पहाड़
अभी-अभी टीला था
अभी-अभी खाई
जीवन के संग-संग
पवन भी विहरता
पत्तों के गिरने से
पेड़ भी है झड़ता
छिपी है बड़ाई में
गहरी रुसवाई ।
अंजुरी में जल आया
नदी नहीं आई
छूने गया तो
बज गया सितार
देखते ही देखते
बह गया पहाड़
अभी-अभी टीला था
अभी-अभी खाई
जीवन के संग-संग
पवन भी विहरता
पत्तों के गिरने से
पेड़ भी है झड़ता
छिपी है बड़ाई में
गहरी रुसवाई ।