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बाँटी-चुटी खाय नूनू राजा घऽर जाय / परमानंद ‘प्रेमी’

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बाँटी-चूटी खाय नूनू राजा घऽर जाय।
झगड़ा करबे आबी खैतौ कारी विलाय॥

चान मामु आबऽ आबऽ नदिया किनारऽ आबऽ,
सोना कटोरी में दूध-भात ले ल’ आबऽ।
टुप-टुप नूनू आरो नुनियाँ खैथौं,
दूधऽ में मिसरी बतासा मिलाय।
बाँटी-चूटी खाय नूनू राजा घऽर जाय॥

आँख मुनै छियौ दौड़ी-दौड़ी खाय जो,
पारा-पारी आबी-आबी दूध भात लै जो।
जौंनें पैन्हें आबी क दूध-भात खैबे,
लानी क’ देतौ बाबू होकर् है मिठाय।
बाँटी-चूटी खाय नूनू राजा छऽर जाय॥

कौवा मैना के हिस्सा लगैबऽ
एक नुनुवां क’ दोसरऽ नूनियां खिलैबऽ।
दोनों गोटाँ चाटी-पोछी क’ खैतऽ,
‘प्रेमी’ के मऽन तैयो नैह’ अघाय।
बाँटी-चूटी खाय नूनू राना घऽर जाय॥