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बाँदा की गरमी में नल का पानी / केदारनाथ अग्रवाल

टप
टप
टपकता है
खून
जैसे कटी उँगली से
वैसे
टपकता है
टप
टप
टप पानी
नल से
न पियो
न जियो


रचनाकाल: २५-०५-१९६९