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बाँसुरी देह / पद्मजा शर्मा
Kavita Kosh से
एक स्त्री आई जीवन में
थोड़ी-सी चाँद की शीतलता
ढेर-सी सूरज की गर्मी
कुछ-कुछ मिठास
मिश्री की डली-सी लिए
उसकी बाँसुरी देह में
बजने लगे राग अपने आप
उम्र के चालीसवें बरस में।