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बांठ : दो / प्रहलादराय पारीक
Kavita Kosh से
तपै तावड़ै
डील में उठै गांठ
पण पग पाछा नीं देवै
मुरमोबी बांठ।
लरड़ी-छाळी
चूल्हां नेड़ी करै
मिनख डाळी-डाळी
तकै आभौ बधै ओरां मिस
जड्यां भरवै
सरणांगत दीवळा
नी तोड़ै मून
टोरै जूण।
मुरधर सूं
पाळो हेत
करै निछरावळ
परहित डील तापै रेत
पण रै’वै निरमळ
पाळै प्रीत
खोलै गांठ
आंट री नीं दरकार
छांट री-मेह री
रै‘वै फगत
नेह री।