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बाईसवीं सदी / एस. मनोज
Kavita Kosh से
मैं बाईसवीं सदी में
बिलकुल अकेला
नहीं नहीं बिलकुल अकेला नहीं
शवों के बीच बेजान पड़ा हूँ
शवों के बीच
हाँ हाँ शवों के बीच।
शव इतिहास का
शव भूगोल का
शव साहित्य का
शव संस्कृति की
शव धर्म का
शव न्याय का
शव नैतिकता की
शव आचरण का
शव मानवता की
शवों के बीच
शव के समान
बिलकुल बेजान।
हाँ हाँ मैं बाईसवीं सदी
का मानव हूँ।
बेजान, हृदयहीन
लाश के समान।