भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाक़ी चीज़ें / एल्विन पैंग / सौरभ राय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

“बग़ीचा उगाने का मतलब भविष्य पर यक़ीन करना है।”
– अमाना कॉलोनी, आयोवा

गमले में उगा पौधा ख़रीदने का मतलब ज़रूरत और बेवफ़ाई दोनों है। पौधे को पानी देना, कभी रोज़, और कभी सिर्फ़ तब जब तुम्हें याद आए कि पौधे के पत्ते मुरझाने लगे हैं, प्यार से मिलता- जुलता एहसास है।

बाक़ी चीज़ों का मतलब बाक़ी चीज़ें हैं।

चिराग़ जलाने का मतलब अँधेरे को उसी अलमारी में छिपाना है, जहाँ नींद, वासना, सन्नाटे, और कल के जूनून क़ैद हैं। किताब से दोस्ती का मतलब दो अलग-अलग एकान्त से बँध जाना है, जैसे गुफ़्तगू एक साथ उठती और गिरती चली जाती है, लफ़्ज़ों से गुज़रते हुए हम सन्नाटे तक पहुँचते हैं, बादल तैयारी करता है अपनी ग़ैरहाज़िरी की, जैसे बहार के स्वागत में बर्फ़ लिबास उतारता है।

तुम्हारी बिस्तर वहीं है, जहाँ तुम उसे छोड़ कर चली गई थी। हाँ, मग़र सिलवटों से तुम्हारी तासीर, तुम्हारा वजूद मिट चुका है। उनकी सोच, उनके ख़याल तुमसे अलग है, ठीक तुम्हारे बच्चों की तरह, जिन्हें तुम अपना वक़्त नहीं दे सकी।

रसोई में पड़ी कढ़ाई बेहद संजीदे सवाल पूछती है : क्या जलेगा, कितनी देर तक, और क्यों?

टीवी शैतान की देन है, जिसे भगवान ने भेजा है। अपनी मर्ज़ी से आता है, चला जाता है। किसी की टीवी का रिमोट छिपा देना गुनाह है, मग़र किसी और का छाता लेकर चले जाना बेहद मामूली ग़लती।

फ़ोन कुछ ज़्यादा ही सफ़ेद है। तुम्हारा बन्द किया हुआ दरवाज़ा आज तक बन्द है। तुम भले ही न मानों, मग़र सवेरे की उम्मीद की सबसे बड़ी वजह रात है।

याद रहे, कार की चाबी डांस के बाद भी वहीं मिलेगी। दीवारें दूरी और सन्नाटे बराबर समेटती है। केतली को रोने की वजह बनाना काफ़ी नहीं।

आईने के पूछे गए सभी सवालों के जवाब, हाँ है।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सौरभ राय