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बाखळ / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
दादां-पड़दादां सागै
जुडयोडो
बरसां जूनो
गनो तोड़
थळी नै फदाक‘र
साळ में
फुटरापै सूं सज्योड़ै
माचै माथै
आ‘र बैठगी
बाखळ.!