Last modified on 8 जनवरी 2010, at 21:33

बाग़ में बस गया है डर लिखना / शीन काफ़ निज़ाम

बाग़ में बस गया है डर लिखना
ऐसी बातें न भूल कर लिखना

पैर को पैर सर को सर लिखना
इस में क्या कि सोच कर लिखना

किस को फ़ुर्सत है कौन पढ़ता है
अपना अहवाल मुख़्तसर लिखना

अब भंवर है न कोई मौजे-ख़तर
अब नदी है उतार पर लिखना

बढ़ गया और कितना सन्नाटा
मेरी आवाज़ का असर लिखना

रात सो जाए दिन निकल जाए
उस इमारत को अपना घर लिखना