हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बागां के मैं मत जाइये नार सैन मार तक लेगा
सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा
गांला मैं मत जाइयो नार को परदेसी तक लेगा
सनकतरा सा गात नार कोए आग बाल सिक लेगा
हरी कन्नी लाल कन्नी या कन्नी असमानी
इस बीर नै कुछ मत कहियो या सै बीर बिराणी