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बाज़ार / रंजना जायसवाल

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सुबह -सबेरे
ओस भिगो देती है
शीतल हवा
ठंडक पहुंचती है
हरी घास
देती है तरावट
फूल महका देते हैं
तन -मन
जानते हैं वे
तपना होता है हमें
दिन भर
बाजार की
आग में।