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बाजी तेरी फ़िर पड़ी होगी तेरी जीत / गंगादास

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बाजी तेरी फ़िर पड़ी, होगी तेरी जीत ।
ये फँसे हैं भोग से, पड़े करो परतीत ।।

पड़े करो परतीत दाव पड़ गए पौबारे ।
चीढे हैं जुग चार सर फ़िर लई हैं सारे ।।

गंगादास ये खेल खेलते हैं अग्गाजी ।
आती है अग्गाज आज जीतेगा बाजी ।।