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बाढ़ आवै न तो भमर आवै / मदन मोहन शर्मा 'अरविन्द'

बाढ़ आवै न तो भमर आवै
अब किनारौ मिले लहर आवै

गैल सिगरी बुहारि राखी हैं
मीत कब कौन सी डगर आवै

भूलिबे की जो ठान ठानी है
भूल सौं एक बेर घर आवै

आसरे आस के रहूँ कब लौं
आस हु तौ कहूँ नजर आवै

बैद ऐसी घुटी बता कोई
देखते-देखते असर आवै