भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाढ़ या सूखा ..... / सर्वत एम जमाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

          रचनाकार=सर्वत एम जमाल  
            संग्रह=
          }}

पीठ पर,

लोगों ने फिर

रख लीं सलीबें हैं,

हाकिमों के हाथों में

शायद जरीबें हैं।

'राजधानी कूच' का

पैगाम है

गांव, बस्ती, शहर तक

कोहराम है

देवता वरदान देने पर तुले हैं

दो ही वर हैं

बाढ़ या सूखा।


खेत बिन पानी

फटे, फटते गये

या नदी की धार में

बहते गये

फसल बोना धर्म था, सो बो चुके हैं

क्या उगेगा

डंठलें ,भूसा .