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बात कुछ दिल की तो क्या बन पायेगी / मेला राम 'वफ़ा'

बात कुछ दिल की तो क्या बन पायेगी
हां हमारी जान पर बन जायेगी

मौत को आना है इक दिन आयेगी
जान को जाना है आख़िर जायेगी

सो तो जायेगा अजल की गोद में
आंख तो बीमार की लग जायेगी

आप रो रो के मनाएं ग़ैर को
ये क़ियामत किस से देखी जायेगी

और कोई ख़िदमत ए नासिह बता
मयकशी हम से न छोड़ी जायेगी

हिचकियों में कट गया दिन ऐ 'वफ़ा'
सिसकियों में रात भी कट जायेगी।