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बात पते की / योगेंद्रपाल दत्त

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अम्माँ, अम्माँ मुझे बताना, ‘‘क्या सच है जो कहती दादी,
बिन हथियार उठाए सचमुच क्या बापू ने दी आजादी?
अम्माँ बोलो, गांधी जी ने, कैसे चमत्कार दिखलाया,
बिना लड़े ही ताकतवर दुश्मन को कैसे मार भगाया।’’
अम्माँ बोली, ‘‘सुन रे मुन्ना, वह सच है जो कहती दादी-
सत्य-अहिंसा और प्रेम से बापू ने ली थी आज़ादी।
गाँव-गाँव जाकर बापू ने आज़ादी की अलख जगाई,
छुआछूत की काली छाया बापू ने ही दूर भगाई,
काता सूत चलाकर चरखा घर-घर में पहुँचा दी खादी!’’

‘‘देश बड़ा है, सब कुछ छोटा, बापू ने सबको बतलाया,
आज़ादी अधिकार हमारा, यह सच जन-जन को समझाया।
सोया देश उठा जब मुन्ना! अंग्रेजी सत्ता थर्राई-
उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम से ‘स्वराज’ की आँधी आई!
एक धर्म था बस आज़ादी, एक जात थी बस आज़ादी,
और एकता की ताकत ने दुनिया भर में धूम मचा दी!
अगर एक हैं नहीं, असंभव कुछ भी पाना, राह दिखा दी,
प्यारे ‘मुन्ना’ जीवन भर को बात पते की हमें बता दी!’’