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बात बड़ी गैहरोॅ छै / मनीष कुमार गुंज
Kavita Kosh से
कहै रहै बाप दादा औवल-औवल फैकड़ा
तखनी तेॅ बुझलौॅ नय आबे बुझलौ जेकरा।
पढ़बें-लिखबें होमें नवाब
खेलमंे-कूदमें होमें खराब।
बात बड़ी गैहरोॅ छै बूझै के फेर
सोचै में समझै में लागै छै देर