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बात बस एक ही वो कहता था / रंजना वर्मा

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बात बस एक ही वो कहता था
जिंदगी से न कोई शिकवा था

वफ़ा निभा न सका जो खुद से
वो हमेशा ही रहा तनहा था

थीं जो देखीं लहू भरी राहें
खून आँखों से उसकी टपका था

उस को समझाया बेवफ़ाई ने
इल्म सच्चा था इश्क झूठा था

लौट पाया नहीं गया जो भी
बाद मुद्दत ये हमने समझा था

सबको खुशियाँ मिलीं ज़माने मे
सिर्फ ग़म ही हमारा हिस्सा था
 
खुश्क़ होने लगीं नज़र लेकिन
एक आँसू भी कहीं अटका था