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बात है दिल की न कहता आदमी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
बात है दिल की न कहता आदमी।
दर्द का एहसास गहरा आदमी॥
कर रहा है कर्म मनमाने मगर
सोच कर परिणाम डरता आदमी॥
सुन नहीं पाता कोई आवाज़ ये
स्वार्थ की जब राह चलता आदमी॥
रोज़ वादे कर मुकरने है लगा
बात पर अपनी न ठहरा आदमी॥
नफ़रतों ने घेर है मन को लिया
प्यार का परचम बदलता आदमी॥