Last modified on 16 जून 2010, at 12:21

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना / परवीन शाकिर

बादबाँ खुलने से पहले का इशारा देखना
मैं समुन्दर देखती हूँ तुम किनारा देखना

यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उससे मगर
जाते जाते उसका वो मुड़कर दुबारा देखना

किस शबाहत<ref>आकृति</ref> को लिए आया है दरवाज़े पे चाँद
ए शब्-ए-हिज्राँ ज़रा अपना सितारा देखना

क्या क़यामत है कि जिनके नाम पर पसपा<ref> पराजित</ref> हुए
उन ही लोगों को मुक़ाबिल में सफ़आरा<ref>युद्ध में सामने आया हुआ दल</ref> देखना

शब्दार्थ
<references/>