भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बादल आया / शकुंतला सिरोठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादल आया झूम के,
पर्वत चोटी चूम के।
इंद्रधनुष का पहने हार,
ले आया वर्षा की धार!
मेढक राजा मगन हुए,
झिंगुरा के सुख सपन हुए!
कजरी की धुन आती है
नन्ही चिड़िया गाती है!