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बादल चले गए वे / त्रिलोचन
Kavita Kosh से
बना बना कर
चित्र सलोने
यह सूना आकाश सजाया
राग दिखाया
रंग दिखाया
क्षण-क्षण छवि से चित्त चुराया
बादल चले गए वे
आसमान अब
नीला-नीला
एक रंग रस श्याम सजीला
धरती पीली
हरी रसीली
शिशिर-प्रभात समुज्जल गीला
बादल चले गए वे
दो दिन दुख के
दो दिन सुख के
दुख सुख दोनो संगी जग में
कभी हास है कभी अश्रु है
जीवन नवल तरंगी जल में
बादल चले गए वे
दो दिन पाहुन जैसे रह कर