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बादल देख डरी सखी री बादल देख डरी / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बादल देख डरी सखी री बादल देख डरी
काली-काली घटा उमड़ आई,
बरसत झरी-झरी। सखी री...
जित जाऊं उत पानी-पानी
भई सब भूमि हरि। सखी री...
फूले फूल क्यारिन बगियन,
लगे सुहावन खेत सखी री। सखी री...
मेरे पिया परदेश बसत हैं,
चैन न एक घरी। सखी री...
आ जावें परदेश से प्रीतम,
ऐसो करो जतन तो कछु री। बादल...
मैं तो राह तकत हूं पिया की,
द्वारे खड़ी खड़ी। सखी री...