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बादल ने मार दी बरछी / केदारनाथ अग्रवाल
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बादल ने मार दी
बरछी,
गाँव को,
और फिर चला गया;
लेकिन कुछ हुआ नहीं;
चमकी थी बिजली
सावन की रात में ।